उत्तर प्रदेश कि राजधानी लखनऊ के ट्रांसगोमती क्षेत्र के सरस्वती पुरम में स्थापित ” माँ कामाख्या धाम ” पूरे देश में माँ कामाख्या
का दूसरा ऐसा धाम है जहा दूर दूर से आने वाले भक्तो कि मनो वांछित कामनाये दर्शन मात्र से पूरी होती है वंही उनके सभी मनोशारीरिक कष्ट भी दूर होते है|
इस धाम में नवरात्री में देश के कोने कोने से आने वाले भक्तो की भीड़ यह बताती है कि वास्तव में यह धाम अतुलनीय है जहा माँ
काली और काल भैरव व हनुमान जी तीनो उग्र शक्तियों कि स्थापना जो कि एक गुम्बद के नीचे पूरे विश्व में दुर्लभ है और इस धाम में गड्पति देव भगवान भोले नाथ व माँ पार्वती जी की भव्य मूर्ति स्थापित है और दरवार में माँ भगवती लक्ष्मी जी,काली जी ,सरस्वती जी त्रिगुणात्मक शक्ति के रूप में स्थापित है| रजोगुणी-तमोगुणी ,सतोगुणी शक्तिया होने से इस धाम की महिमा अपरंपार है और इस धाम में नर्वदेश्वर शिवलिंग स्थापित है जिनके दर्शन करने से लगता है की पूरा ब्रह्माण्ड समाहित है| इसलिए इस धाम को दिव्य शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है| नव रात्रि के अवसर पर धाम में दिन रात भक्तो का तांता लगा रहता है | भक्त जन बताते है कि नवरात्री में माँ कि विशेष कृपा प्राप्त
होती है| इस अवसर पर माँ के दरबार में पूर्ण भक्ति भाव से आने वाले भक्तो की सभी मनोकामनाए पूरी होती है|
धाम के पीठाधीश स्वामी ईशाना नन्द सरस्वती जी महराज ने बताया कि यहाँ माँ कि भक्ति से सभी के शारीरिक मानशिक संकट
तत्काल दूर होते है और उनकी सभी मनो कामनाये पूरी होती है और उन्हें धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष कि भी प्राप्ति होती है|
यहाँ नवरात्री के दिनों में केवल नारियल और मिश्री का प्रसाद वितरित होता है ताकि नवरात्री के अवसर पर माँ का नव दिन व्रत
रहने वाले भक्तो का व्रत पूर्ण रूप से सम्पन्न हो सके|
वास्तव में स्वामी ईशाना नन्द सरस्वती जी महराज के प्रयास से स्थापित यह धाम पूरे देश में भक्तो कि आस्था व श्रद्धा का केंद्र बन गया है जहा वर्ष भर प्रतिदिन सुबह और शाम माँ के दर्शन के लिए भक्तो कि भीड़ लगी रहती है|